भारत में कार्यपालिका और विधायिका के मध्य निकट संबंधों का वर्णन कीजिये ।
Describe the state of close relationship between the legislature and executive in India.
कार्यपालिका
संघीय कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति को सहायता करने एवं सलाह देने के लिये अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होती है। केंद्र की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त होती है, जो उसके द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर संविधान सम्मत तरीके से इस्तेमाल की जाती है। राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सदस्य तथा राज्यों में विधानसभा के सदस्य समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत मतदान करते हैं। उपराष्ट्रपति के चुनाव में एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा संसद के दोनों सदनों के सदस्य मतदान के पात्र होते हैं।
राष्ट्रपति को उसके कार्यों में सहायता करने और सलाह देने के लिये प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद होती है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वह प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। संघ के प्रशासन या कार्य और उससे संबंधित विधानों और सूचनाओं के प्रस्तावों से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों की सूचना राष्ट्रपति को देना प्रधानमंत्री का कर्त्तव्य है। मंत्रिपरिषद में कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री होते हैं।
विधायिका
भारत संघ की विधायिका को संसद कहा जाता है और राज्यों की विधायिका विधानमंडल/ विधानसभा कहलाती है। देश की विधायिका यानी संसद के दो सदन हैं- उच्च सदन राज्यसभा तथा निचला सदन लोकसभा कहलाता है। राज्यसभा के लिये अप्रत्यक्ष चुनाव होता है, इसमें राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत के द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार राज्यों की विधानसभाओं द्वारा निर्धारित तरीके से होता है। राज्यसभा को भंग नहीं किया जाता, बल्कि हर दूसरे वर्ष में इसके एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं। वर्तमान में राज्यसभा में 245 सीटें हैं। उनमें से 233 सदस्य राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामजद होते हैं।