निम्न में से कौन सी सबसे गंभीर समस्या है, जो कृषि को प्रभावित करती है ?
(A) मृदा अपरदन
(B) भूमि का लवणीकरण
(C) भूमि का क्षारीयकरण
(D) पोषक तत्वों की कमी
(B) भूमि का लवणीकरण
(C) भूमि का क्षारीयकरण
(D) पोषक तत्वों की कमी
मृदा अपरदन प्राकृतिक रूप से घटित होने वाली एक भौतिक प्रक्रिया है जिसमें मुख्यत: जल एवं वायु जैसे प्राकृतिक भौतिक बलों द्वारा भूमि की ऊपरी मृदा के कणों को अलग कर बहा ले जाना सम्मिलित है। यह सभी प्रकार की भू-आकृतियों को प्रभावित करता है।
मृदा में लवण (नमक) की मात्रा को मृदा लवणता (Soil salinity) कहते हैं। मृदा में नमक की मात्रा बढने की क्रिया लवणीकरण (salinization) कहलाती है। नमक, प्राकृतिक रूप से मिट्टी तथा जल में पाया जाता है। मृदा का लवणीकरण प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा हो सकता है जैसे, खनिज अपक्षय (mineral weathering) या समुद्र के क्रमशः दूर जाने से। सिंचाई करने आदि कृत्रिम क्रियाओं से भी मृदा की लवणता बढ़ सकती है,और मृदा पोटाश से दूर की जाती है।
क्षारीय भूमि (Alkali soils या alkaline soils) उस मिट्टी को कहते हैं जिनका पीएच मान ९ से अधिक होता है. क्षारीय मृदा उस प्रकार की मृदा या मिट्टी को कहते हैं जिसमें क्षार तथा लवण विशेष मात्रा में पाए जाते हैं। शुष्क जलवायु वाले स्थानों में यह लवण श्वेत या भूरे-श्वेत रंग के रूप में मृदा या मिट्टी पर जमा हो जाता है।
मसलन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की कमी होने पर इनकी वृद्धि रुक जाती है। कैल्शियम, मैग्निशियम, सल्फर द्वितीयक पोषक तत्व होते हैं, यह भी फसल की पैदावार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। जिंक, आयरन, कापर, मैग्नीज, बोरान, मालीबेडनम, क्लोरीन की फसल और पौधों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।