मध्यकाल के दौरान 'भक्ति आंदोलन' के किन्हीं दो विशेषताओं की व्याख्या कीजिए ।
भक्ति आंदोलन की मुख्य विशेषताएं है।
1. एक ईश्वर मेंं आस्था- ईश्वर एक है वह सर्व शक्तिमान है ।
2. बाह्य आडम्बरों का विरोध- भक्ति आंदोलन के संतों ने कर्मकाण्ड का खण्डन किया । सच्ची भक्ति से मोक्ष एवं ईश्वर की प्राप्ति होती है।
3. सन्यास का विरोध- भक्ति आंदोलन के अनुसार यदि सच्ची भक्ति है ईश्वर में श्रद्धा है तो गृहस्थ में ही मोक्ष मिल सकता है ।
4. वर्ण व्यवस्था का विरोध- भक्ति आंदोलन के आंदोलन के प्रवतकों ने वर्ण व्यवस्था का विरोध किया है । ईश्वर के अनुसार सभी एक है ।
5. मानव सेवा पर बल- भक्ति आंदोलन के समर्थकों ने यह माना कि मानव सेवा सर्वोपरि है । इससे मोक्ष मिल सकता है ।
6. हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रयास- भक्ति आंदोलन के द्वारा संतों ने लोगों को यह समझाया कि राम, रहीम में कोई अंतर नहीं ।
7. स्थानीय भाषाओं में उपदेश- संतों ने अपना उपदेश स्थानीय भाषाओं में दिया । भक्तों ने इसे सरलता से ग्रहण किया ।
8. समन्वयवादी प्रवृत्ति- संतों, चिन्तकों, विचारकों ने ईर्ष्या की भावना को समाप्त करके लोगों में सामंजस्य, समन्वय की भावनाओं को प्रोत्साहन दिया ।
9. गुरु के महत्व मेंं वृद्धि- भक्ति आंदोलन के संतों ने गुरु एवं शिक्षक के महत्व पर बल दिया । गुरु ही ईश्वर के रहस्य को सुलझाने एवं मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है । समर्पण की भावना- समर्पण की भावना से सत्य का साक्षात्कार एवं मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है ।
10. समानता की भावना- ईश्वर के समक्ष सभी लागे समान है । ईश्वर सत्य है । सभी जगह विद्यमान है । उनमें भेदभाव नहीं है । यही भक्ति मार्ग का सही रास्ता है ।